Font by Mehr Nastaliq Web

अस्वीकृति

asvikriti

अनुवाद : दिनेश चमोला

ची: अे:

ची: अे:

अस्वीकृति

ची: अे:

और अधिकची: अे:

    मैंने कहा—आओ, टिमटिमाते तारों को गिने

    और जब पूरा कर लें यह सफ़र

    प्रेम करते रहें”

    मुस्कराहट के संकेतों ने

    स्पर्श किया उसके

    गुलाब की पंखुडियों-से होंठों को

    और मज़बूती से अपना सिर हिलाया

    मैंने कहा—

    आओ, सागर में

    किश्ती में बैठ, यात्रा करें

    भूलभरे प्रेम से

    दूसरे किनारे तक यात्रा के अंत होने तक।

    मुस्कराहट भरे संकेतों ने

    स्पर्श किया उसके

    गुलाब की पंखुड़ियों-से होठों का

    और मज़बूती से अपना सिर हिलाया

    तुकबंदी देख कर मैं रुक गया

    फिर मुस्कराहट के विनिमय आशा में

    मैंने कहा—

    “मुझे प्यार करोगी?

    उसने मुलायम स्वर में

    सहमते हुए कहा—नहीं...नहीं

    मेरे सीने में

    दौड़ गई दर्द की एक लहर

    मैं उसके चेहरे को एकटक देखता रहा

    वह उदास थी

    उसने गहरी साँस ली

    और आँसू भर गए

    उसकी आँखों में

    फिर पूछो ज़िंदगी,

    मुझे सांत्वना देते हुए उसने कहा

    जब मैंने पूछा क्या तुम खोलना चाहते हो

    प्रेम की उलझनें?

    क्या तुम भूल सकोगी?

    उसने गहरी साँस ली

    काफ़ी परेशान दीखने लगी

    नज़दीक आते हुए मैंने पूछा—

    क्या गिन सकेंगे

    हम अनगिनत तारे

    या कि तिरती हुई किश्ती में घूम सकेंगे?

    मैंने उसकी

    सहमी हुई आवाज़ सुनी—

    नहीं...नहीं'

    स्रोत :
    • पुस्तक : समकालीन बर्मी कविताएँ (पृष्ठ 111)
    • संपादक : चन्द्र प्रकाश प्रभाकर 'मौतीरि'
    • रचनाकार : ची: अे:
    • प्रकाशन : इरावदी प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1994

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY