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बीसवीं सदी

bisvin sadi

इवान वाज़ोव

अन्य

अन्य

इवान वाज़ोव

बीसवीं सदी

इवान वाज़ोव

और अधिकइवान वाज़ोव

    आज यहाँ हम सदी बीसवीं के द्वारे पर खड़े हुए

    गाते गीत सुरा पीते हैं इसकी चिंताओं के नाम

    आशा करते जीवन पहले से भी ज़्यादा सुखमय हो

    जो चिंतक है इस दुनिया में चिंता करना उनका काम।

    नई सदी आरंभ कर रहे किंतु पुराने दिन होंगे

    गंभीर समस्याएँ कितनी ही हमें अभी सुलझानी हैं

    झूठ जीतता,दोष फैलता अपनी आँखों के आगे

    कितनी ही ज़ंजीरें अपनी अभी तोड़नी बाक़ी हैं।

    बीते युग ने सौंपा हमको आगामी युग का जो दाय

    वह है एक पुरातन, अद्भुत जड़ता की जर्जर सौग़ात

    अभी प्रतीक्षा करनी होगी रोग दूर हों गत युग के

    क्या ये सारे ठीक-ठाक हो जाएँगे नव युग के साथ?

    क्या विवेक का राज रहेगा या प्रयोग बल का होगा

    नंगी तलवारें लटकेंगी या कि हमारे सिर पर

    घोर निराशा में डूबी है निखिल विश्व की मानवता

    सत्य, शांति और सुखों के लिए बहुत मन है प्यासा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बल्गारियाई कविताएँ (पृष्ठ 23)
    • संपादक : रमेश कौशिक
    • रचनाकार : इवान वाज़ोव
    • प्रकाशन : पराग प्रकाशन
    • संस्करण : 1985

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