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भूतकाल को मत दोहराओ

bhutakal ko mat doharao

विजयपाल सिंह बीदावत

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विजयपाल सिंह बीदावत

भूतकाल को मत दोहराओ

विजयपाल सिंह बीदावत

और अधिकविजयपाल सिंह बीदावत

    विश्व शांति कहाँ अभी तो, मानवता का सूर्य अस्त है।

    नेहरु के सपनों का भारत, रामराज्य का स्वप्न ध्वस्त है॥

    गया कहाँ सद्भाव जहाँ से, खंजर दिल में भरे पड़े हैं।

    यारो चेतना लुप्त ना करो, अभी घाव तो हरे पड़े है॥

    राष्ट्र-पुत्र हो पुण्य धरा के, फिर क्यों करते रक्तपात तुम।

    जीना है अधिकार सभी का, मन में करलो आत्मसात तुम॥

    परतंत्रता अब नहीं चाहिए, भूतकाल को मत दोहराओ।

    क्षणिक ज़िंदगी सुख से काटो, एकता का नवदीप जलाओ॥

    स्रोत :
    • रचनाकार : विजयपाल सिंह बीदावत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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