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भोर का नामकरण

bhor ka namakran

अनुवाद : तनुज

रफ़ाइल अलबर्ती

अन्य

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रफ़ाइल अलबर्ती

भोर का नामकरण

रफ़ाइल अलबर्ती

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    हे भोर! मैं तुम्हें देने वाला था कई-कई नाम

    (मगर एक संदिग्ध सुर्ख़ हमले के साथ)

    तुम हो वह भूल सपना,

    कभी प्रस्थान करने वाली देवदूत,

    दरख़्तों पर बारिश—मिथ्या

    आत्मा के वे किनारे जहाँ बुलाई जाती हैं तमाम नदियाँ—

    अनिश्चित, संशयशील, ठहरी हुईं…

    हे विभाजित सितारो! या

    रौशनी के विमूढ़ विलाप

    या बे-आवाज़ दर्पण?

    न!

    मुझे लगता है कि तुम्हारा सही नाम होगा—

    बर्फ़ के पानी के भीतर उभरा हुआ एक ग़लत प्रतिबिंब।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा पत्रिका
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : रफ़ाइल अलबर्ती

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