बस्ती के उस पार से तो कभी वनों के पीछे से
basti ke us paar se to kabhi vanon ke pichhe se
ओसिप मंदेलश्ताम
Osip Mandelstam

बस्ती के उस पार से तो कभी वनों के पीछे से
basti ke us paar se to kabhi vanon ke pichhe se
Osip Mandelstam
ओसिप मंदेलश्ताम
और अधिकओसिप मंदेलश्ताम
बस्ती के उस पार से तो कभी वनों के पीछे से
कभी लंबी दूरी की, लदी मालगाड़ी के नीचे से
सत्ता के समर्थन में जब गूँजेगा तू बनकर भोंपू
सरस किलकारियाँ भरेगा, हकूमत के बग़ीचे से
घनघनाएगा, बुड्ढे, तू पहले, फिर साँस लेगा मीठी
और सागर-सा गरजेगा कि दुनिया तूने यह जीती
गूँजेगा तू लंबे समय तक, कई सदियों के पार
सब सोवियत नगरों की, बस, होगा तू ही तो सीटी
- पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 307)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : ओसिप मंदेलश्ताम
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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