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आत्मकथ्य

atmakathya

मुख्तार आलम

अन्य

अन्य

मुख्तार आलम

आत्मकथ्य

मुख्तार आलम

और अधिकमुख्तार आलम

    कविता!

    एसगरे शब्द जाल

    नहि थिक

    नहिये कोनो दवाइ

    जाहिसँ तत्क्षण

    ठीक भए जाइत

    कोनो रोग-बेमारी

    हमरा लेल

    संवादक एकटा

    सशक्त माध्यम थिक

    जाहिसँ हम

    निमुहाँ लोकक आवाज

    पहुँचाबै छी

    जन-जन धरि

    कविता हमरा लेल

    एकटा हथियार थिक

    जाहिसँ हम अपन समाजक

    बाकल-बकलेल

    अभागल-अभिशप्त

    लोकक लड़ैत छी

    अहर्निश लड़ाइ

    कविता!

    हमर जिनगीक

    आधार थिक

    प्राणवायु थिक

    अपन समस्याकेँ

    शब्द देबाक

    एकटा प्लेटफार्म थिक

    जखन गंभीर अवसादसँ

    भए जाइत छी त्रस्त

    निराशाक अंतिम चरणमे

    जा लागै छी तँ

    कविते हमरा बाहर करैत अछि

    अन्हारसँ इजोत दिस

    जखन हम

    हारै-थाकै

    डेराय लगै छी

    कोनो उन्मादी तंत्रसँ तँ

    कवितेसँ भेटैत अछि

    अकास भरि साहस

    आँजुर भरि आनंद

    एक मिसिया मुस्की

    जाधरि बाँचल रहत कविता

    ताधरि जीबैत रहब हम

    बचायत हमरा कविता

    कोनो कवच जकाँ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : परिचय बनैत शब्द (पृष्ठ 36)
    • रचनाकार : मुख्तार आलम
    • प्रकाशन : मुख्तार आलम
    • संस्करण : 2021

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