कला का समय

kala ka samay

पंकज चतुर्वेदी

पंकज चतुर्वेदी

कला का समय

पंकज चतुर्वेदी

और अधिकपंकज चतुर्वेदी

    रामलीला में धनुष-यज्ञ के दिन

    राम का अभिनय

    राजकुमार का अभिनय है

    मुकुट और राजसी वस्त्र पहने

    गाँव का नवयुवक नरेश

    विराजमान था रंगमंच पर

    सीता से विवाह होते-होते

    सुबह की धूप निकल आई थी

    पर लीला अभी ज़ारी रहनी थी

    अभी तो परशुराम को आना था

    लक्ष्मण से उनका लंबा संवाद होना था

    नरेश के पिता किसान थे

    सहसा मंच की बग़ल से

    दबी आवाज़ में उन्होंने पुकारा :

    नरेश! घर चलो

    सानी-पानी का समय हो गया है

    मगर नरेश नरेश नहीं था

    राम था

    इसलिए उसने एक के बाद एक

    कई पुकारों को अनसुना किया

    आख़िर पिता मंच पर पहुँच गए

    और उनका यह कहा

    बहुतों ने सुना—

    लीला बाद में भी हो जाएगी

    पर सानी-पानी का समय हो गया है

    स्रोत :
    • रचनाकार : पंकज चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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