अरी रूपसी, मेरे सम्मुख मत गाओ
ari rupasi, mere sammukh mat gao
अलेक्सांद्र पूश्किन
Alexander Pushkin

अरी रूपसी, मेरे सम्मुख मत गाओ
ari rupasi, mere sammukh mat gao
Alexander Pushkin
अलेक्सांद्र पूश्किन
और अधिकअलेक्सांद्र पूश्किन
अरी रूपसी, मेरे सम्मुख मत गाओ
करुण जार्जिया गीत,
किसी दूसरे तट, जीवन की याद दिलाएँ
भूला हुआ अतीत।
क्रूर तराने तेरे मुझपर ज़ुल्म करें
मुझको स्मरण कराएँ,
रात चाँदनी, स्तेप, दुखी-सी वह युवती
स्मृतियाँ घिर-घिर आएँ।
देख तुझे उस प्यारी, दु:ख की छाया को
भूल तनिक मैं जाता
लेकिन जब तुम गाती हो, उसको फिर से
बरबस सम्मुख पाता।
अरी रूपसी, मेरे सम्मुख मत गाओ
करुण जार्जिया गीत,
किसी दूसरे तट, जीवन की याद दिलाएँ
भूला हुआ अतीत।
- पुस्तक : अलेक्सान्द्र पूश्किन चुनी हुई रचनाएँ (खंड-1) (पृष्ठ 23)
- रचनाकार : अलेक्सान्द्र पूश्किन
- प्रकाशन : प्रगति प्रकाशन, मास्को
- संस्करण : 1982
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