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अपोलो-11

apolo 11

तुम्हारे चेहरे से

चाँद की तुलना करने वाला

मैं कोई पहला कवि नहीं था

ही आख़िरी

कवियों की साइकोलॉजी ने

चाँद की जुगराफ़ी के सिवाय

तुम्हारे भीतर और कुछ देखा ही क्या है

कितना अजीब लगता होगा

अपोलो-11 की लैंडिग के बाद भी

तुम्हारे चेहरे को चाँद कहना...

मैं सोच रहा हूँ कि

नील आर्मस्ट्रांग तुम्हारे गुलाबी गालों पर

चहल-क़दमी कर रहा है

अब जिन गालों पर आशिक़ों की नज़रें

और नज़्मों के हिज्जे तक फिसल जाते हैं

बेशक वहाँ उसे ग्रेविटी नहीं मिली होगी

वे लोग तुम पर

पानी की खोज करने आए थे

जबकि तुम्हारे आँसू

तुम्हारे चेहरे को चाँद ठहराए जाने के दिन से ही

सूख गए थे

चाँद पर इंसान के पहले क़दम की

न्यूज़ पढ़कर

मैं बार-बार अपने होंठों को

कुरेदकर सहलाता हूँ

मानो उनमें कोई ऐसी तकनीकी ख़राबी

ढूँढ़ रहा हूँ

जो अपोलो-11 में नहीं थी

नील आर्मस्ट्रांग अब

मेरी आँखों की किरकिरी बन गया है,

अब मैं अपनी‌ कविता लिखने की तकनीक में

बदलाव लाना चाहता हूँ

क्योंकि

चाँद पर तो फिर भी मुमकिन है

लेकिन यहाँ ज़िंदगी हमें

बज एल्ड्रिन की तरह दूसरा मौक़ा नहीं देगी।

स्रोत :
  • रचनाकार : सत्यम् सम्राट आचार्य
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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