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अंतहीन कहानी

anthin kahani

ऑटो द सोला

ऑटो द सोला

अंतहीन कहानी

ऑटो द सोला

और अधिकऑटो द सोला

    तुम दुखी क्यों हो

    याद रखो कि हम लोगों ने एक अंतहीन कहानी लिखी है

    जिसके एक छोर पर छोटी सी चींटी है

    दूसरे छोर पर दूर, सुदूरतम नक्षत्र

    चट्टान और हरे-भरे कुंज

    खंडहर और बच्चों के पालने

    सभी उस कहानी के अंग हैं

    हम लोगों ने ऊसर बंजर ज़मीन को इतना सुख दिया है

    कि वह अपने अंदर छिपे नक्षत्रों और फूलों को

    पहचान गई है!

    संगीत, चुंबन और तितलियों से बुनी हुई

    हमारी कहानी सृष्टि की आदिम कहानी है

    प्रतिध्वनियों, छायाओं और कुहरे के

    छलना-महलों की तरह

    हमारी कथा रहस्यमयी है

    युगों से परे है

    धरती में दबी ढँकी जलधाराओं के ढंग

    की कहानी

    वेदनामय ज़रूर होती

    हमारी आँखें नहरें ज़रूर बन गई होतीं

    पर हमारी कहानी तो धरती से सितारों

    की ओर उठने वाली कहानी है

    और सितारों की ऊँचाइयों से खंडहर

    और चीड़ के कुंज कितने छोटे लगते हैं!

    हमारी कहानी पर वे सभी देवदूत घिर आएँगे

    जो अभी पैदा ही नहीं हुए

    वे फूल और जो रात के अँधेरे में खिल कर अनजाने ही—

    मुरझा जाते हैं

    नववधू के फूल मुकुट से झरने वाले नींबू के फूल

    इस कथा से महक उठे हैं!

    तुम सुन रही हो न? समझ रही हो न?

    आदम गा रहा है

    इवा निश्वासें भर रही है

    हवाएँ करवटें बदल रही हैं!

    स्रोत :
    • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 379)
    • संपादक : धर्मवीर भारती
    • रचनाकार : ऑटो द सोला
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
    • संस्करण : 1960

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