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अंत (?) में इच्छा

ant (?) mein ichchha

अनस ख़ान

अनस ख़ान

अंत (?) में इच्छा

अनस ख़ान

और अधिकअनस ख़ान

    प्रसन्नता के पर्यायों की देवी!

    देखो कि अकथ उदासियों से चूर हूँ मैं

    सारे ख़ुदा

    सारे पयम्बर मिलकर भी

    जिसका मदावा नहीं कर सकते

    तुम्हारी कोई भी परिभाषा

    कोई भी पर्याय

    नहीं कस सकता

    मुझे तुम्हारी कसौटी पर

    कैसे भी नहीं हटाया जा सकता

    मुख से कुम्हलाया भाव

    और नहीं लिखी जा सकती

    ख़ुशी की कोई मख़्सूस इबारत...

    हम-ज़ाद कोई शैतान नहीं

    थी एक दाइमी उदासी ही

    जो पैदा हुई थी मेरे साथ

    ऐसा सुख दो देवी!

    कि जी उठूँ

    कि निहार सकूँ

    सिर उठाकर खुला आसमान

    कि गा सकूँ जीवन-मादकता से भरा

    एक अमर प्रणय गीत...

    और अंत में फिर लौट आऊँ

    अपनी अकथ उदासियों की ओर...

    देवी!

    मरने के कितने हीले हैं

    कितने तरीक़े

    कितने दर

    मैं इन सबको छोड़

    और तुमसे भी दूर

    अपनी उदासियों के सीने पर सिर रखकर

    मरना चाहता हूँ!

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनस ख़ान
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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