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अपन अपन रंग

अमरनाथ झा ‘अमर’

अन्य

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और अधिकअमरनाथ झा ‘अमर’

    जीवन जीबक रूप अनेको

    अलगे होइ छै ढंग

    क्यो जीबय मंजरीक संग, क्यो

    नव पल्लव केर संग।

    ककरो लगलै मज्जर तँ

    ककरहु मे लगलै फूल

    केओ लाब के किसलय सँ

    बनबै अछि अनुकूल।

    जकरा भाग मे जे लिखल छै

    तेहने तेकर रूप

    मुख्य बात तँ ई, जीबन मे

    दृष्य ने हो कुद्रूप।

    फलनचक्र सम थिक जीवन

    हासिल, कखनो नागा

    मज्जर-कलश समाने होइ तँ

    आस भविष्यक आगाँ।

    जकरा दूनू मे सँ नै किछु

    जिनगी लागइ ठूठ

    निरखिके नीरस रूप अपन

    लागि जाइछ हरमूठ।

    सज्जित रहय स’भ केर जीवन

    फ’ल, फूल पात

    लता आस के चतरय सबहुक

    स्रोत :
    • पुस्तक : नमहर हो चद्दरि जटबए (पृष्ठ 24)
    • रचनाकार : अमरनाथ झा ‘अमर’
    • प्रकाशन : अनुप्रास प्रकाशन
    • संस्करण : 2021

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