अलविदा

alawida

गौरव भारती

गौरव भारती

अलविदा

गौरव भारती

और अधिकगौरव भारती

    मैं कोशिश कर रहा हूँ

    फिर भी नहीं लौट पाया अगर

    कोई बात नहीं

    मेरी यादें लौटती रहेंगी तुम तक

    तुम्हें छूती रहेंगी

    तुम्हारे कानों में फुसफुसाकर कहेंगी कुछ

    ज़्यादा ध्यान मत देना तुम

    झटक देना उन यादों को जो तुम्हें परेशान करें

    मैं जानता हूँ

    जिए हुए को टालना बहुत मुश्किल होता है

    यादें चुंबक-सी होती हैं

    लेकिन तुम आगे बढ़ना

    ढोना मत मुझे शव की तरह

    चुन लेना कोई साथी

    अपनी पसंद का

    और जीना इस तरह कि तुम्हारे जीने से दूसरों को बल मिले

    हम सभी अपने-अपने समय से कुछ श्रेष्ठ चाहते हैं

    श्रेष्ठ की खोज में भटकते हैं

    लेकिन मनुष्य जीवन से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं है

    सफलता एक खोल है

    जिसे ओढ़ने के बाद कोई भी आकर्षक दिख सकता है

    लेकिन ज़रूरी नहीं है कि उसमें अर्थ की गंभीरता भी हो

    परिभाषाओं में कभी मत फँसना तुम

    परिभाषाएँ हमारे अर्थबोध को सीमित कर देती हैं

    परिभाषाएँ गढ़ने वाले लोगों से सतर्क रहना

    ऐसे लोग जीवन की व्यापकता को नहीं

    समाज की प्रचलित मान्यताओं को मानते हैं

    मैंने तुम्हें जब भी देखा

    जब भी सुना

    जब भी छुआ

    मेरी आस्था मुझमें लौटती रही

    तुम्हारा विश्वास तुममें बना रहे

    अलविदा!

    स्रोत :
    • रचनाकार : गौरव भारती
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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