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आह्वान

ahwan

मीनाक्षी मिश्र

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और अधिकमीनाक्षी मिश्र

    स्त्रियो!

    कुछ भी दुर्जय नहीं रहेगा इस संसार में

    जब साहस के प्रदर्शन से पूर्व

    तुम उसे अनुभूत करने लगोगी

    वादा करो

    जिन भीषण रास्तों से होकर तुम गुज़रोगी

    उन से गुज़रते हुए

    अपनी सौम्यता को नष्ट होने दोगी

    कटूक्तियों को नज़रअंदाज़ करना

    किसी पूँजी को नकारने जैसा होगा

    इसलिए सहेज कर रख लोगी उनको

    और बचाए रखोगी अपने भीतर का विवेक इस तरह

    तुम निजत्व को बनाए रखने को प्राथमिकता दोगी

    तो रहस्यपूर्ण बनी रहोगी

    यही बात देर-अबेर

    तुम्हारे पक्ष में काम करेगी

    यूँ तो हर क्षण पाओगी तुम ख़ुद को

    एक अप्रत्यक्ष युद्ध में रत

    पर मुस्तैद रहोगी तो जीत लोगी हर संग्राम

    और भरने लगेगी एक अचेतन गर्व से तुम्हारी आत्मा

    स्त्रियो!

    देवपुष्प के जैसा ही होता है स्वावलंबन

    यूँ स्वयं में उसे खिलते हुए देखना

    तुम्हारे भाग्य के उदय होने का परिचायक होगा!

    स्रोत :
    • रचनाकार : मीनाक्षी मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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