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अगर वे लौट आए

agar ve laut aaye

आनंद बहादुर

अन्य

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आनंद बहादुर

अगर वे लौट आए

आनंद बहादुर

और अधिकआनंद बहादुर

    वे सब 

    जो जीवन के इतिहास में 

    दर्ज हुए बिना चले गए 

    अगर वे लौट आए तो 

    वे लोग 

    वे पेड़

    हुई तितलियाँ 

    वे शहर 

    वे मकान 

    वे बारिशें 

    वे सब या उनमें से अधिकांश 

    या कम से कम कुछ 

    यह सोचते हुए 

    कि इसे एक मौक़ा और दिया जाए 

    कि पहली बार जब हम आए 

    तो यह नितांत अनुभवहीन 

    और कच्चा था 

    अब ज़रूर पक गया 

    जीवन रस से भर गया होगा 

    जब भी उनमें से कोई लौटेगा 

    मुझ में पाएगा 

    अपनी प्रतीक्षा का 

    एक संपूर्ण संसार 

    मुझ में अलग से एक तैयारी 

    एक जीवन की और 

    और एक-एक कर 

    अनेक जीवनों की 

    और यह जीवन जो मैंने जिया 

    यह भी वापस लौटे 

    एक-दूसरे जीवन में से 

    छूट गए जीवन की तरह

    स्रोत :
    • रचनाकार : आनंद बहादुर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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