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आदमी जाति से क्यों नहीं।

adami jati se kyon nahin.

सतीश सम्यक

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सतीश सम्यक

आदमी जाति से क्यों नहीं।

सतीश सम्यक

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    उसने मुझे पूछा—

    किस जाति से हो?

    मैंने कहा आदमी ,

    उसने फिर कहा, ऐसे नहीं वैसे

    किस जाति से हो?

    हाँ,

    एक बार बचपन में ज़िक्र आया था

    जाति का।

    और

    मैंने बाबा से पूछा—

    किस जाति के हैं हम?

    नायक जाति के‌।

    मैंने फिर पूछा— नायक क्या होता है?

    बाबा ने कहा— जाति।

    यह जाति क्या होती है?

    यह तो पता नहीं।

    मैंने कहा बाबा से—

    आदमी और औरत दो जाति नहीं है क्या?

    बिल्कुल है, बाबा ने कहा।

    तो फिर हम नायक ही क्यों

    आदमी क्यों नहीं?

    बाबा ने कुछ नहीं कहा

    चूपचाप मेरी तरफ़ देखने लगे।

    एक लंबे अंतराल के बाद बोले—

    तूँ कोशिश करेगा तो बन जाएँगे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सतीश सम्यक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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