रात का संगीत

raat ka sangit

अच्युतानंद मिश्र

अच्युतानंद मिश्र

रात का संगीत

अच्युतानंद मिश्र

और अधिकअच्युतानंद मिश्र

    एक ठहरी हुई शाम

    जाने कब से पूछ रही है

    अपना पता

    एक गुमनाम आदमी देर तक

    चलता है सड़कों पर

    उसे उम्मीद है भविष्य का नक़्शा

    वह ढूँढ़ लेगा

    देर से टँगी है पत्ती

    हवा की प्रतीक्षा में

    एक औरत कपडे सुखा रही है

    एक घर में दिया जल रहा है

    एक छत पर बारिश हो रही है

    एक आदमी तेज़ आवाज़ में लड़ रहा है

    एक घर से बच्चों के रोने की आवाज़ रही है

    एक घर से कोई आवाज़ नहीं रही है

    थकान के बाद सुन्न

    पड़ रही हैं स्मृतियाँ

    दिनों और महीनों के कंधों पर

    घंटों का बोझ है

    एक तिलिस्म की तरह लगती है

    ये दुनिया

    वे सोचते हैं

    और ठहर जाते है

    वे उस गाय को देखते हैं

    जो चलते-चलते ठहर गई है

    कोई नहीं बता सकता

    वह कितनी देर यूँ ही खड़ी रहेगी

    पैरों की उदासी को सिर्फ़

    घोड़े जानते हैं

    कोई उनकी हथेलियों पर

    नाल ठोंक रहा है

    वे उन्हीं मैदानों से गुज़रे

    जहाँ पिछली सदी में गुज़रे थे घोड़े

    वे घोड़ों की तरह कभी

    कामयाब नहीं हो सके

    अब वे घोड़ो की तरह रोना चाहते हैं

    एक दुनिया रात में बदल रही है

    एक बच्चा ज़मीन का एक महफ़ूज़ कोना तलाश रहा है

    एक फ़ुटपाथ के बराबर में पुलिस की गाड़ियाँ दौड़ रही हैं

    कुछ लोग अदृश्य हो जाना चाहते हैं

    कुछ लोग अपने हाथ काट लेना चाहते हैं

    कुछ लोग पैर काट लेना चाहते हैं

    कुछ लोग कुछ भी खाकर सो जाना चाहते हैं

    कुछ लोग सुन्न हो जाना चाहते हैं

    कुछ दुनिया के सारे बल्ब फोड़ देना चाहते हैं

    कुछ लोग मिट्टी में लिथड रहे हैं

    कुछ लोग इतनी ज़ोर से चीख़ना चाहते हैं

    कि दुनिया चाँद के दो टुकड़ों में बदल जाए

    एक आदमी हवा में करुणा पैदा कर रहा है

    एक आदमी कभी चुप होने वाली रुलाई रो रहा है

    एक आदमी हर पत्ते को खा रहा है

    एक आदमी कुछ भी नहीं खा रहा

    एक स्त्री अपने प्रेमी से सचमुच का रूठ जाना चाहती है

    ढाबे के बाहर खड़ा एक आदमी चाहता है

    कि दुनिया में एक भयानक विस्फोट हो

    सभ्यता के मुहाने पर

    खड़े कुछ लोग

    ठिठके हुए हैं

    वे समय के किनारों से फिसलते

    कोलंबस की तरह किधर निकल जाएँगे

    कोई नहीं बता सकता

    कोई नहीं बता सकता

    रात का यह संगीत कितनी देर और चलेगा

    किस क्षण घास की सबसे नन्हीं पत्ती पर

    ओस की बूँद आकर ठहर जाएगी

    स्रोत :
    • रचनाकार : अच्युतानंद मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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