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अब, जब उस घर में जाना

ab, jab us ghar mein jana

सौम्य मालवीय

अन्य

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सौम्य मालवीय

अब, जब उस घर में जाना

सौम्य मालवीय

और अधिकसौम्य मालवीय

     

    कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान अपने ताऊजी के नहीं रहने पर

    उस घर में यूँ मत घुसना
    जैसे धड़ल्ले से घुस जाते थे पहले
    बेल मत बजाना
    जैसे बजाते रहते थे पहले 
    जब तक कोई निकल ना आये

    खोलोSSS खोलोSSS के 
    शोर से मथ मत देना
    अपने इंतज़ार को
    कोई आवाज़ मत देना

    अगर दरवाज़ा हल्का-सा उढ़का हो
    साँकल न लगी हो, तभी अंदर जाना
    वरना लौट आना

    रोज़ पहुँचना उस चौखट पर
    माथे से छूना किवाड़ों को
    वापस हो लेना अगर कोई आहट न मिले
    पर कोई डरी हुई दस्तक मत देना

    अगर कभी दाख़िल होना उस घर में
    तो मृत्यु की तरह एकदम-अचानक नहीं
    जीवन की चाप लिए जाना
    भीतर पाँव रखते हुए
    पुकारना मत उसे
    उन अनुगूँजों को सुनना 
    जो उन चुप्पियों में व्याप गई हैं

    'अजय भैय्याSSS'
    'आय रहे हैंSSS'

    कोशिश करना तुम्हारे जाने से
    कुछ भी खंडित न हो—टूटे नहीं
    आहिस्ते चलना समृतियों की घास पर
    कोई फूल मत तोड़ना
    चाहे वह फिर दुःख का ही क्यूँ न हो।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सौम्य मालवीय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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