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आत्मा अकेली है अपने आँसुओं के साथ

aatma akeli hai apne ansuon ke saath

आन येदरलुंड

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आन येदरलुंड

आत्मा अकेली है अपने आँसुओं के साथ

आन येदरलुंड

और अधिकआन येदरलुंड

    आत्मा अकेली है अपने आँसुओं के साथ। आवरणों में।

    गहरी आँखों पर फैली हुई। सिर्फ़ चौथाई हिस्सा देखा जा सकता है।

    आठवाँ हिस्सा या उससे भी कम।

    चेहरे के ढाँचे में एक झिल्ली की तरह बची हुई।

    बिना अग्नि के एक आत्म-लौ।

    यह जलती नहीं। यह उड़ती नहीं।

    कानों में चटचटाती नहीं। उदास-सी वह सिर्फ़ ख़ुद को ऊपर

    उठाती है।

    वह नेत्रपटल पर घाव के चिह्न-सी खुदी हुई है—पतली परत

    में।

    यह मुश्किल से बाहर देख सकती है।

    मुश्किल से ही किसी को या किसी चीज़ से दिखती है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा पत्रिका
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : आन येदरलुंड

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