आदमी को पहचानो उसे इज्ज़त दो
कवियो देवताओं के बखान में समय जाया मत करो
हो सके तो आदमी को पहचानो उसे इज़्ज़त दो
आदमी जिसने खनिजों का दोहन किया धरती में धँसकर
जाने वनस्पतियों के गुण-धर्म औषधियों के चमत्कार
आदमी जो ज़िद कर जुटा रहता है बुरे दिनों में भी
और अच्छे समय में नैतिकता का पालन करता है
आदमी जिसने नफ़रत की अज्ञान से निरी बुद्धिमता से
समझाते हुए जल्दबाज़ हृदय को क्रोध में और प्रेम में
आदमी जो सदय है तमाम भारवाही पशुओं के प्रति
जो ईश्वरीय रहस्य को समझता है जीवों से प्रेम करता है
जीवन की पुरातनता में नित नूतन उस प्रजाति का वारिस
जो धोखा खाकर भी सरल है प्यार में एतबार में
आदमी जो मलिन नहीं होने देता आत्मा के औदार्य को
आदमी जो जानता है कि क्षणभंगुर हैं सभी अत्याचार
जो भरोसा करता है परिवर्तन के शाश्वत नियम में
अपनी रूखी त्वचा के नीचे पुरनम सुहृद दृढ़ किंतु विनम्र
लचीली मिट्टी-सा पनाह देता उर्वर जीवन बीजों को
बचाता निबिड अंधकार में भी जीवन के पर्णहरित को
आदमी जो महान है अपनी सारी तुच्छताओं के बावजूद
कोशिश करता हृदय के हलाहल में और क्षमा करता
बूझता ब्रह्मांड के रहस्यों को माटी में मोटी रोटी में
मर कर जो दफ़्न होता धरती की शीतोष्ण नर्म परतों में
एक नीचाट एकांत में सिरजता ऊँचाई और साहस
खुलता दरीचा और धुर उजली उम्मीद जीवन की।
- रचनाकार : सवाई सिंह शेखावत
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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