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दरपन से बात का

जगन्नाथ

जगन्नाथ

दरपन से बात का

जगन्नाथ

और अधिकजगन्नाथ

    दरपन से बात का भइल जाने सिङार के

    छनहीं में रुख बदल गइल बिरिझल बहार के

    ढरकी ना आँखि लाख पघिलि जाउ मन में पीर

    आफत के मोल ली लगाइ के बजार के

    दहसत समा गइल बा लोगन में अजब आजु

    बइठल बा सभे ठोकि के मन का किवार के

    बुझलो से अब का, कवन रस्ता, कहाँ मंजिल

    डोली बिकाइ गइल जब हाथे कहाँर के

    लहरन के खेल में मगन केहू ना बुझि सकल

    का बीत रहल बा करेज पर किनार के

    स्रोत :
    • पुस्तक : लर मोतिन के (पृष्ठ 23)
    • रचनाकार : जगन्नाथ
    • प्रकाशन : पुष्कर प्रकाशन, बक्सर
    • संस्करण : 1977

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