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दरिया के बीच बइठ

dariya ke beech baith

मनोज भावुक

अन्य

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मनोज भावुक

दरिया के बीच बइठ

मनोज भावुक

और अधिकमनोज भावुक

    दरिया के बीच बइठ के कागज के नाव में

    का-का करत बा आदमी अपना बचाव में

    कान्हा अपना बोझ उठवलो के बावजूद

    हरदम रहल देवाल छते का दबाव में

    कहहीं के बाटे देश गाँवन के हऽ मगर

    खोजलो गाँव ना मिली अब कवनो भाव में

    चेहरा पढ़े के लूर जो हमरा भइल रहित

    अइतीं ना बाते- बात अतना तनाव में

    लागत बा मशीन के साथे भईल मशीन

    तबहीं त, यार, आज ले लवटल ना गाँव में

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनोज भावुक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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