साँस खातिर बा
saans khatir ba
साँस खातिर बा सरगम बेगाना भइल
जिन्दगी बस जिए के बहाना भइल
गिरके उनका नजर से उठल बानी हम
बानी सभका नजर के निशाना भइल
लोर पीए के जनमे से लागल लकम
अब का छूटी, निसा ई पुराना भइल
उनका रोवला भइल एगो मुद्दत, बुला
हमरा हँसला, ए यारे, जमाना भइल
रउवा दीहीं दरद आ गजल देब हम
ई गजल रउरा नाँवें बयाना भइल
- पुस्तक : खुद के तलाशत (पृष्ठ 17)
- रचनाकार : जगन्नाथ
- प्रकाशन : भोजपुरी साहित्य प्रतिष्ठान, पटना
- संस्करण : 2015
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