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गुमजोला की कहानी

गुमजोला नाम का कोई व्यक्ति था। एक बार उसने अपने भाइयों के विवाह के सिलसिले में कहीं जाने की सोची। उसने गाँव के लड़कों से निवेदन किया कि वे लोग सगाई की शराब ढोकर ले चलें। इस पर गाँव के लड़कों ने उससे कहा कि उनके पास यात्रा पर जाने के लिए कपड़े नहीं हैं। इस स्थिति में वे उसके साथ कहीं भी कैसे जा सकते हैं भला! यह सुन कर गुमजोला ने उन्हें कुर्ता,पगड़ी,गुरियों की माला तथा भृंगराज पक्षी के पंखों की मूँठ सिर में बाँधने के लिए दी। तब उन सभी ने शराब पी,माँस-भात खाया और अस्त्र-शस्त्र से सजकर कांवर में शराब की मटकियाँ लाद कर चल पड़े। उनके साथ गांडा जाति का एक और व्यक्ति भी चल पड़ा। गांडा जाति का वह व्यक्ति तांत्रिक भी था। गुमजोला के तीनों छोटे भाई घर पर रह गए।

सब लोग दोपहर बाद गुमजोला के होने वाले समधी के घर पहुँचे। समधी के परिवार वाले भी जाने-माने तांत्रिक थे। उन्होंने तंत्र-क्रिया से गुमजोला को प्रभावित कर लिया,जिससे वह किंकर्त्तव्यविमूढ़ हो गया। वह इतना सम्मोहित हो गया कि कुछ भी बोलने-समझने में असमर्थ हो गया। इस पर गुमजोला के साथ आया हुआ तांत्रिक सब-कुछ समझ गया और उसने तंत्र-क्रिया द्वारा उसकी बाधा समाप्त कर दी। खा-पी कर सभी गाँव के घोटुल में एकत्र हो गए।

गुमजोला का भावी समधी बाहर गया हुआ था। आकर उसने देखा,वहाँ तीर-धनुष,तलवार,फरसे टँगे हुए हैं। इससे वह अत्यधिक अप्रसन्न हो गया और गुमजोला को मारने की धमकी देने लगा। इससे गुमजोला वहाँ से उठ कर अपने साथियों के साथ रोता हुआ अपने घर वापस गया। सारी बातें उसके छोटे भाइयों को मालूम हुईं। तब उन्होंने क्रोधित होकर गुमजोला के भावी समधी से बदला लेने की ठान ली। मंगनी (सगाई) की सारी सामग्री लेकर वे उसी गांडा के साथ समधी के घर पहुँचे। वहाँ पहुँच कर उन्होंने अपने साथ लाए पत्तों की चोंगी (चुरुट) बना कर समधी को दी। गांडा वहीं जमीन पर बैठ गया। उसके बैठने पर जमीन धँसने लगी। यह देख कर समधी ने उसे खाट पर बिठाया। खाट पर बैठते ही खाट की पाटी टूट गई। तब उसे लकड़ी के झूले पर बिठाया गया,इससे ज़मीन फट गई। परिवार के सारे सदस्य चकित एवं अभिभूत होकर उसे देखने लगे और स्वीकार कर लिया कि तंत्र-विद्या में वह उन सबसे बड़ा है। सारा परिवार भयभीत हो गया। सहसा घोटुल में तोड़ी (तुरही) बज उठी। सारे ग्रामीण वहाँ एकत्र हो गए। लोग गुमजोला के समधी से पूछने लगे कि तोड़ी बजाने का क्या कारण है? तब एक बालक बोल उठा कि गुमजोला की बहन,भाभी और उसकी काकी को वे लड़के उठा कर ले गए हैं,इसलिए तोड़ी बजाई गई है। यह सुन कर गाँव के सारे लोग गुमजोला के भाइयों का पीछा करने लगे किंतु उनका प्रयास व्यर्थ गया। उधर गुमजोला के भाई उन लड़कियों को लेकर अपने गाँव पहुँच गए,चारों ओर हर्षोल्लास का वातावरण बन गया। विवाह की रस्में पूरी की गईं। सभी लोग आनंदित होकर नाचने-गाने लगे।

गुमजोला ने माँस-मदिरा तथा भोजन से सबका स्वागत किया।

स्रोत :
  • पुस्तक : बस्तर की लोक कथाएँ (पृष्ठ 8)
  • संपादक : लाला जगदलपुरी, हरिहर वैष्णव
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
  • संस्करण : 2013

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