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ब्रजी लोकगीत : घर जाओ स्याम बिहारी रे

brji lokgit ha ghar jao syam bihari re

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रोचक तथ्य

संदर्भ—एक गोपी का कृष्ण को घर जाने के लिए कहना।

घर जाओ स्याम बिहारी रे, बादल की कोर कारी रे।

कारे कारे बादल उमड़ उमड़ आये, बिजुरी चमकै न्यारी।

दादुर मोर पपीहा बोले, कोयल बोले कारी।

नन्हीं नन्हीं बुदियाँ बरसन लागीं, मेरी भीजै पचरंग सारी।

इत मथुरा उत गोकुल नगरी, जमुना बह रहीं भारी।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 296)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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