Font by Mehr Nastaliq Web

हमरे दुअरवा चननवा

hamre duarva chananva

अज्ञात

अज्ञात

हमरे दुअरवा चननवा

अज्ञात

और अधिकअज्ञात

    हमरे दुअरवा चननवा, चनन बड़ रुखवा

    सखिया तेहि चढ़ि कागा, बोलिया बोलै

    बोलि के सुनावे हो।

    का तुहूं कागा बोलिया बोलेउ

    बोलि के सुनावउ हो।

    एक तो बिटियही हमरी कोखिया

    दूसरे पियवा दारून हो।

    जउ हम रानी बोलिया बोले बोलि के सुनाये हो

    रानी आजु के नवये महिनवा, होरिलवा तोहरे होइहैं

    अंगनवा तोहरे खेलिहैं हौ।

    कागा सोनवा मिढ़उबै तोहरी ठोढ़ चनिया तोहरी डाखनि

    चनिया तोहरी डाखनि हो॥

    उचरहुं कगवा रे उचरहूं, ऊंच सगुन लै आउ।

    नीले घोड़े चढ़े आवइ कवन (नाम) राम

    डँड़िया कवन (नाम) देई

    अरे बाघ छोड़े आवइ भयनवा

    माडव मोरा भरि पुरि जाइ॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : पूर्वांचल के लोकगीत (पृष्ठ 24)
    • संपादक : बी.एल.द्विवेदी, कपिल तिवारी और नवल शुक्ल
    • प्रकाशन : मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला परिषद्, भोपाल का प्रकाशन
    • संस्करण : 1998

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY