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बुंदेली लोकगीत : तेरे लाला ने माटी खाई

bundeli lokgit ha tere lala ne mati khai

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रोचक तथ्य

संदर्भ—कृष्ण का मिट्टी खाना।

तेरे लाला ने माटी खाई, जसोदा सुन माई।।टेक।।

अदभुत खेल सखन सँग खेल्यौ, थोरौ सो माटी कौ डेलौ।

तुरत कृष्ण ने मुख में मेल्यौ, या ने गटक गटक रज खाई।।1।।

क्यों लाला तैनें माटी खाई, माखन को कबहूँ ना नाटी।

धमकावे जसुदा लै साटी, याहिं नैक दया नहिं आई।।2।।

उगिलहु बेगि बदन ते माटी, नाहीं तो मारत हूँ साटी।

सब दिन झुठवत हौ सब ग्वालन, मैं हौं तेरी माई।।3।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 371)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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