ब्रजी लोकगीत : नन्द को दुलारो मेरो बन्ना
brji lokgit ha nand ko dularo mero banna
रोचक तथ्य
संदर्भ—ससुराल में वर के सौंदर्य की प्रशंसा।
नन्द को दुलारो मेरो बन्ना।
सिर सोहै जाली को चीरा,
कलँगी लहरिया लहरियादार मेरो बन्ना॥
कान सोहै सूरत को मोती,
चुन्नी लहरिया लहरियादार मेरो बन्ना॥
नैन सोहै कस्मीरी सुरमा,
बिरिया लहरिया लहरियादार मेरो बन्ना॥
हाथ सोहै हिरउदी अँगूठी,
पहुँची लहरिया लहरियादार मेरो बन्ना॥
अंग सोहै काँसे को जामा,
जमधर लहरिया लहरियादार मेरो बन्ना॥
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 280)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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