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दिन में सुभग सरोज है

din mein subhag saroj hai

मतिराम

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मतिराम

दिन में सुभग सरोज है

मतिराम

और अधिकमतिराम

    दिन में सुभग सरोज है, निसि में सुंदर इंदु।

    द्यौस राति हूँ चारु अति, तेरो बदन गोबिंदु॥

    कमल तो दिन में ही खिलता और सुंदर लगता है और चंद्रमा रात्रि ही को चमकता है। पर हे श्रीकृष्ण! तुम्हारा मुख दिन तथा रात्रि में भी दोनों ही समय सुशोभित होता रहता है। अर्थात् तुम्हारा मुख कमल एवं चंद्रमा दोनों से अधिक सुंदर है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पुष्प-पराग (पृष्ठ 237)
    • संपादक : टेकचंद शास्त्री
    • रचनाकार : मतिराम
    • प्रकाशन : भारती सदन, दिल्ली
    • संस्करण : 1955

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