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गंगानाथ झा

1872 - 1941 | मधुबनी, बिहार

संस्कृत, हिंदी, मैथिली और अँग्रेज़ी के विद्वान एवं शिक्षाशास्त्री। ‘कवि-रहस्य' पुस्तक के प्रसिद्ध।

संस्कृत, हिंदी, मैथिली और अँग्रेज़ी के विद्वान एवं शिक्षाशास्त्री। ‘कवि-रहस्य' पुस्तक के प्रसिद्ध।

गंगानाथ झा की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 17

कवि वस्तु-स्वभाव के अधीन नहीं है।

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काव्य में वस्तुओं के गुण या दोष कवि की उक्ति पर ही निर्भर करता है।

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‘अभी रहने दें फिर समाप्त कर लूँगा’—‘फिर इससे शुद्ध करूँगा’—‘मित्रों के साथ सलाह करूँगा’—इत्यादि प्रकार की यदि कवि के मन में चंचलता हो तो इससे (भी) काव्य का नाश होता है।

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दूसरों के रचित शब्द और अर्थ का अपने प्रबंध में निवेश करना ‘हरण’, ‘चोरी’, ‘Plagiarism’ कहलाता है।

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प्रतिभा और व्युत्पत्ति दोनों जिसमें हैं, वही ‘कवि’ है।

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