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धीरेन्द्र वर्मा

1897 - 1973 | बरेली, उत्तर प्रदेश

हिंदी भाषा के पहले वैज्ञानिक इतिहासकार के रूप में समादृत। ‘हिंदी विश्वकोश’ और ‘हिंदी साहित्य कोश’ के संपादन में योगदान।

हिंदी भाषा के पहले वैज्ञानिक इतिहासकार के रूप में समादृत। ‘हिंदी विश्वकोश’ और ‘हिंदी साहित्य कोश’ के संपादन में योगदान।

धीरेन्द्र वर्मा का परिचय

उपनाम : 'धीरेन्द्र वर्मा'

मूल नाम : धीरेन्द्र वर्मा

जन्म : 01/05/1897 | बरेली, उत्तर प्रदेश

निधन : 01/04/1973

हिंदी और ब्रजभाषा के समादृत कवि और लेखक धीरेन्द्र वर्मा का जन्म 17 मई, 1897 को बरेली (उत्तर प्रदेश) के भूड़ मोहल्ले में हुआ था। उनके परिवार पर आर्य समाज का प्रभाव था और बचपन में उनपर भी यही संस्कार पड़ा। म्योर सेंट्रल कॉलेज से संस्कृत भाषा में स्नातकोत्तर के साथ ही उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय से डी. लिट्. की उपाधि प्राप्त की थी। वह वर्ष 1924 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रथम अध्यापक के रूप में नियुक्त हुए। उन्होंने यहीं हिंदी विभाग के अध्यक्ष के रूप में भी योगदान दिया और कालांतर में सागर विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान विभागाध्यक्ष और फिर जबलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सेवा दी। 

हिंदी में उनके योगदान की परख में कहा जाता है कि हिंदी समीक्षा में जैसा महत्त्वपूर्ण योगदान आचार्य रामचंद्र शुक्ल का रहा, वैसा ही योगदान हिंदी शोध के क्षेत्र में धीरेन्द्र वर्मा का रहा। उनके निबंधों के आधार पर अनेक गंभीर शोध कार्य हुए हैं। भारतीय भाषाओं से संबद्ध समस्त शोध कार्यों के आधार पर इन्होंने 1933 में हिंदी भाषा का प्रथम वैज्ञानिक इतिहास लिखा था। यह अपने समय तक के आधुनिक भाषाओं से संबंधित खोज कार्य के गंभीर अनुशीलन के आधार पर रचित हिंदी भाषा का प्रथम वैज्ञानिक इतिहास है।  वह हिन्दुस्तानी अकादमी के मंत्री रहे थे। उन्होंने ‘लिंग्विस्टिक सोसाइटी ऑफ़ इंडिया’ के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी। वह प्रथम 'हिंदी विश्वकोश' के प्रधान संपादक रहे हैं।
'ब्रजभाषा व्याकरण', 'अष्टछाप', 'सूरसागर-सार', 'मेरी कालिज डायरी', 'मध्यदेश', 'ब्रजभाषा', 'हिंदी साहित्य कोश', 'हिंदी साहित्य', 'कंपनी के पत्र', 'ग्रामीण हिंदी', 'हिंदी राष्ट्र', 'विचार धारा', 'यूरोप के पत्र' आदि उनके द्वारा रचित और संपादित-संकलित प्रमुख कृतियाँ हैं।
23 अप्रैल, 1973 को उनका निधन हुआ।

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