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चैतन्य महाप्रभु

1486 - 1534 | पश्चिम बंगाल

चैतन्य महाप्रभु की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 1

हे प्रभु! कब ऐसा होगा कि आपका नाम लेने में मेरे मुख पर अश्रुधारा बहने लगे, वाणी गद्गद होकर रुँध जाए और सारा शरीर पुलकित होकर रोमांचित हो जाए?

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