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नाहि करब बर हर निरमोहिया
नाहि करब बर हर निरमोहिया।बित्ता भरि तन बसन न तिन्हका बघछल काँख तर रहिया॥
विद्यापति
हों बारी मेरे कमल नैन पर
हों बारी मेरे कमल नैन पर स्याम सुंदर जिय भावै।चरन कमल को रैनु जसोदा लै लै सीस चढ़ावै॥
परमानंद दास
पवन-पान कर रहे महीनों
खुल गई पलक कभी छिनभर तौ, कर लै बीन बजावैं हैं।जमुना कूलैं, 'ललितकिसोरी' हरी-नाम-गुन गावैं हैं॥
ललितकिशोरी
दानघाटी छाक आई गोकुलते
परमानंद दास
छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई
छांड़ो मेरे लाल अजहुँ लरकाई।यही काल देखिकैं तोकों ब्याह की बात चलावन आई॥
परमानंद दास
हमारी सब ही बात सुधारी
हमारी सब ही बात सुधारी।कृपा करो श्री कुंजबिहारिनि, अरु श्रीकुंजबिहारी॥
नागरीदास
ऐसी प्रीति कहूँ नहि देखी
ऐसी प्रीति कहूँ नहि देखी।जसुमतिसुत वल्लभसुत जैसी सेस सहस मुख जात न लेखी॥
गोविंद स्वामी
लाल को मुख देखन हों आई
दिनतें दूजौ लाभ भयो घर काजर बछिया जाई।आई हों धाय थंमीय साथ की मोहन दे हो जगाइ॥
परमानंद दास
जिय की साध जिय ही रही री
जिय की साध जिय ही रही री।बहुरि गोपाल देखन न पाए बिलपति कुंज अहीरी॥
परमानंद दास
भैया हो! अबहु छाक नहीं आई
भैया हो! अबहु छाक नहीं आई।भाई अबेर भूख लागी है, काहै बेर लगाई॥