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जो रे भाई राम दया नहीं करते
जो रे भाई राम दया नहीं करते।नवका नाँव खेवटहरि आपै, यों बनि क्यों निस्तरते॥
दादू दयाल
बिन गोपाल बैरनि भई कुंजैं
बिन गोपाल बैरिनि भई कुंजैं।तब ये लता लगति अति सीतल, अब भई विषम ज्वाल की पुंजैं॥
सूरदास
कौन तप कींनों री भाई
"कोंन तप कींनों री भाई नंद-घरणी।लै उछंग हरिकूँ पय प्यावत, मुख चुंबन मुख भींनों री॥
भालण
रोवहु सब मिलिं आवहु भारत भई
रोवहु सब मिलिं आवहु भारत भाई।हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
प्रगट भई सोभा त्रिभुवन की
प्रगट भई सोभा त्रिभुवन की भानु गोप के आइ।अद्भुत रूप देखि ब्रज बनिता रीझीं लेत बलाइ॥
सूरदास मदनमोहन
देखो भाई रंग भरे पिया
देखो भाई रंग भरे पिया सोहत रंग भरी सिया अंगबाम।रंग भरी बतियाँ रिया रंगीली नरबर रंग कोटिक रंग अभिराम॥
कृपानिवास
देखौ भाई, सुंदरता की सींवा
देखौ भाई, सुंदरता की सींवा।ब्रज-नव-तरुनि-कंदब-नागरी निरखि करति अध ग्रीवा॥
हितहरिवंश
मधुप! मधुपुरी खरी हरि भाई
मधुप! मधुपुरी खरी हरि भाई।बड़रे मंदिर भोग राग जहाँ, नगर नारि चतुराई॥
गोस्वामी हरिराय
जागो भाई जागो रात अब थोरी
जागो भाई जागो रात अब थोरी।काल चोर नहिं करन चहत है जीवन धन की चोरी॥
प्रतापनारायण मिश्र
गुजरिया बावरी भई
गुजरिया बावरी भई केउ बेर गई दान मारि।आजु गहन पाई नंद की सौं लैहों दिन दिन को निरवारि॥
गोविंद स्वामी
बावरे के संग-साथ बावरी सी भई मैं
बावरे के संग-साथ बावरी सी भई मैं,बाप हू विवाह दीनीं बावरौ सौ जान कें।