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बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए
बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए।पुण्य पुरबला म्हारा प्रगट भया, मधुर-मधुर सुर मुरली सुणाई ए॥
रानाबाई
इण धर राजा इंद भणीजै
इण धर राजा इंद भणीजै, सो म्हाराज कुहागूं।राजा राव नै आगळ हुवा, जां कोई गरभ न आणूं।
जसनाथ
धरती इंद सिरे जोड़ावो
धरती इंद सिरे जोड़ावो, नित लग नेह सनेहा।अमी मंडळ में बाजा बाजै, वरस सुवाया मेहा।
जसनाथ
स्यामाजू के सरन जे सुख न सिराने
सींचत अंड आम की आसा फूल फलै न पिछाने।दरसत परसत खात न जानत आँखि अछत अँधराने॥
बिहारिनिदेव
मोहन जागौ मनोहर मधुसूदन मदनमोहन
जागौ ए जू कान्ह कुँवर केवल कल्यानराय,जागौ ए श्रीकृष्न चंद्र प्रेमानंद पावन॥
बैजू
पीन पयोधर दूबरि गता
पीन पयोधर दूबरि गता। मेरु उपजल कनक लता॥ए कान्ह ए कान्ह तोरि दोहाई। अति अपरुब देखलि राई॥
विद्यापति
दानघाटी छाक आई गोकुलते
परमानंद दास
भरत-राम का प्रेम (एन.सी. ई.आर.टी)
राघौ! एक बार फिरि आवौ।ए बर बाजि बिलोकि आपने बहुरो बनहिं सिधावौ॥
तुलसीदास
श्री सरस्वती वंदना
चित्त के अनंद छंद-बंदन करन हेतु,ए री जगदंब मेरे रसना पै बैठ आज॥