आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "pap karne ke bad khumbhmela latest"
Pad के संबंधित परिणाम "pap karne ke bad khumbhmela latest"
सखि हे मोर बड़ दैब बिरोधी
सखि हे मोर बड़ दैब बिरोधी।मदन बेदन बड़ पिआ मोर बोलछड़ अबहु देह परबोधी॥
विद्यापति
बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए
बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए।पुण्य पुरबला म्हारा प्रगट भया, मधुर-मधुर सुर मुरली सुणाई ए॥
रानाबाई
इण जिवड़े रै कारणे
इण जिवड़े रै कारणे, हरि हर नांव चितारे।ओ धन तो है ढळती छाया, ज्यूं धूवैं री धारे।
जसनाथ
निर्गुन सगुन कहत जिहिं बेद
निर्गुन सगुन कहत जिहिं बेद।निज इच्छा बिस्तारि बिबिध बिधि बहु अनवहो दिखावत भेद॥
हरिव्यास देव
हरि-दासन के निकट न आवत
सुख-दुख पाप-पुन्य मायामय ईति-भीति आकूत।‘व्यास’ आस तजि सबकी भजिए ब्रज बसि भगत सपूत॥
हरीराम व्यास
राणाजी म्हें तो गोविंद का गुण गास्याँ
यह संसार बाड़ का काँटा ज्याँ संगत नहिं जास्याँ।मीरा के प्रभु गिरधर नागर निरख परख गुण गास्याँ॥
मीरा
राम-सुमिरन करना ही रे बाबा
राम-सुमिरन करना ही रे बाबा।काम क्रोध मद मत्सर छांज के, यो भवसागर तरना रे बाबा॥
केशवस्वामी
क्या करना है संतति-संपति
क्या करना है संतति-संपति, मिथ्या सब जग-माया है।शाल-दुशाले, हीरा-मोती में मन क्यों भरमाया है॥
ललितकिशोरी
ख़्वाजादास के पद
जतन से ओढ़ी धवल कामरी कचड़ा बीच लबार गएजनम करम की नासी सब गति करने को व्योपार गए
मृत्युंजय
गौर मुख चंद्रमा की भाँति
नाह निकट नहिं राहु-बिरह, डरपत शोभा न समाति।देखत पाप न रहत ‘व्यास’, दासी-तन ताप बुझाति॥
हरीराम व्यास
मोहन जागौ मनोहर मधुसूदन मदनमोहन
जगत के जगैया तुम प्रभु ‘बैजू’ के स्वामी,बलराम कृष्न जू के भैया पाप नसाबन॥
बैजू
खेलन में को काको गुसैयाँ (एन.सी. ई.आर.टी)
सूरदास
खेलत मैं को काको गुसैयाँ
सूरदास
दुहुँ भाँतिन को मैं फल पायो
दुहुँ भाँतिन को मैं फल पायो।पाप किये तातें विमुखन संग, देस-देस भटकायो॥
नागरीदास
यह दिव्य प्रसाद प्रिया प्रिय कौ
यह दिव्य प्रसाद प्रिया प्रिय कौ।दरसत ही मन मोद बढ़ावत, परसत पाप हरत हिय कौ॥