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ओं बडोत सिंभू सिरजणहार
ओं बडोत सिंभू सिरजणहार, सर्वे रूप कियो विसतार।पाये धरती सीस गैणार, ता सिंभूनै निमस्कार।
जसनाथ
ओं पैलां सिंभू आप उपन्ना
ओं पैलां सिंभू आप उपन्ना, जप रैया निरकारूं।जोग छत्तीसूं न्यारा रहिया, कुहाया एकैकारूं।
जसनाथ
ओं तंते मंते जोत जगाई
ओं तंते मंते जोत जगाई, वाके वचने काया उपाई।मीठो थां सागर सोस्यो, खारो कियो थांही (छाई)।
जसनाथ
ओं आप ही आप आप उपन्ना
निरत नारायण, सुरत सहदेव, भणै भणै हियाळी हंसदेव।जो थे मन मन करस्यो माड, तो सुरग मंडळिये हुयसी लाड।
जसनाथ
मंगलाचरण (तीन)
सिरजसि पानि अठारा(र)ह सिरजसि अगनित मूरि।सिरजसि कत अगुरायनि (आकरायनि?) सबै रहा भरपूरि॥
मुल्ला दाउद
मंगलाचरण (दो)
सिरजसि सभ संसार सपूरन जल[?] महियल सोइ।ज(जि)ह कर ठाव न जानीये तिह बिन ठाव न होइ॥
मुल्ला दाउद
है है उर्दू हाय
है है उर्दू हाय। कहां सिधारी हाय-हाय॥मेरी प्यारी हाय हाय। मुंशी मुल्ला हाय-हाय॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
इण धर राजा इंद भणीजै
इण धर राजा इंद भणीजै, सो म्हाराज कुहागूं।राजा राव नै आगळ हुवा, जां कोई गरभ न आणूं।
जसनाथ
आईं जु स्याम जलद घटा
गोविंद स्वामी
सिया राम हिय मध्य
सिया राम हिय मध्य राम सिय के उर माहीं।थप्यो पुष्ट तेहि काल तुष्ट भयो आयो दोउ पाहीं॥
बनादास
कौन रसिक है इन बातन कौ
कौन रसिक है इन बातन कौ।नंद-नंदन बिनु कासों कहिए, सुनि री सखी, मेरे दुखिया मन कौ॥
परमानंद दास
इन में क्या लीजै क्या दीजै
इन में क्या लीजै क्या दीजै, जनम अमोलिक छीजै॥सोवत सुपना होई, जागे थैं नहिं कोई।
दादू दयाल
दसहरा मुबारिक होय तुमकौं
बैजू
इण जिवड़े रै कारणे
इण जिवड़े रै कारणे, हरि हर नांव चितारे।ओ धन तो है ढळती छाया, ज्यूं धूवैं री धारे।
जसनाथ
पिय तोहि नैनन ही में राखूँ
पिय तोहि नैनन ही में राखूँ।तेरी एक रोम की छबि पर, जगत वारि सब नाखूँ॥