आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "natak jari hai leeladhar jagudi ebooks"
Pad के संबंधित परिणाम "natak jari hai leeladhar jagudi ebooks"
लालत सूं मेरी प्रीत जरी हो
लालत सूं मेरी प्रीत जरी हो।ज्यागति सोबति राम की मुरती, देखती हुँ ज्याहां तहाँ खरी हो॥
केशवस्वामी
जियरा चेति रे, जिनि जारे
बेर-बेर समझायौ रे जियरा, अचेत न होइ गँवारे।यहु तन है कागद की गुड़िया, कछु एक चेत बिचारे॥
दादू दयाल
मधुमाखी जरै नहिं दीपक पै
मधुमाखी जरै नहिं दीपक पै।वह तो बटोरति सुमनन को रस, सेवति वाको तन-मन दै॥
मंजुकेशी
है है उर्दू हाय
है है उर्दू हाय। कहां सिधारी हाय-हाय॥मेरी प्यारी हाय हाय। मुंशी मुल्ला हाय-हाय॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
क्या करना है संतति-संपति
क्या करना है संतति-संपति, मिथ्या सब जग-माया है।शाल-दुशाले, हीरा-मोती में मन क्यों भरमाया है॥
ललितकिशोरी
रात भर का है डेरा
ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा है, सवेरे उठकर जाना है।रात भर का है डेरा, सवेरे जाना है॥
सैन भगत
लाल हौ तुम सों बहौत लरी
जाग परी मन में पछितानी, बिरहा अगिन जरी।बिनती करत परत पाँयनु में, मन में निपट डरी।
गोस्वामी हरिराय
बैठे घनश्याम सुंदर खेवत है नाव
बैठे घनश्याम सुंदर खेवत है नाव।आज सखी मोहन संग खेलवे को दाव॥
परमानंद दास
भंवरगीत (कथोपकथन)
पद्मासन सब द्वार रोकि इंद्रिन को मारैं॥ब्रह्मअगिन जरि सुद्ध है सिद्धि समाधि लगाइ।
नंददास
लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है
लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है।अतिही नीदर नैन उनीदे, आरस-रंग भर्यो है॥
अलबेलीअलि
आवत मोहन मन जु हर्यो है
आवत मोहन मन जु हर्यो है।हौं गृह अपने सचु सो बैठी, निरखि बदन सर्वसु बिसर्यो है॥
कुंभनदास
परिचित है मुसकान तुम्हारी
परिचित है मुसकान तुम्हारी।सुमरन नाहिं, भई वा नाहीं, कबहूँ तुमतें भेंट हमारी॥
बालमुकुंद गुप्त
ह्वै है प्रीति हीं परतीति
ह्वै है प्रीति हीं परतीति।गुनग्राही नित लाल बिहारी, नहिं मानत कपट अनीति॥