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मय अमलादि पिया न पिया
मय अमलादि पिया न पिया, सुख प्रेम-पियूष पिया रे।नाम अनेक लिया न लिया, रति स्यामा-स्याम लिया रे।
सहचरिशरण
खेलन में को काको गुसैयाँ (एन.सी. ई.आर.टी)
खेलन में को काको गुसैयाँ।हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैयाँ॥
सूरदास
पिया बिन मोहिं नींद न आवे
पिया बिन मोहिं नींद न आवे।खन गरजै खन बिजुली चमकै, ऊपर से मोहिं झाँकि दिखावै।
धनी धरमदास
दुनिया के परपंचों में
दुनिया के परपंचों में हम मजा नहीं कुछ पाया जी।भाई-बंद, पिता-माता, पति सब सों चित अकुलाया जी॥
ललितकिशोरी
पिया, जब देखी मैं फुलवरियाँ
पिया, जब देखी मैं फुलवरियाँ।अस मन भयो धार गर लागौं त्यागि सकल कुल गलियाँ॥
सुधाकर द्विवेदी
राम मिलन क्यों पइये
राम मिलन क्यों पइये, मोहिं राखा ठगवन घेरि हो।क्रोध तो काला नाग है, काम तो मरघट काल।
मलूकदास
लाभ कहा कंचन तन पाये
लाभ कहा कंचन तन पाये।भजे न मृदुल कमल दल लोचन, दुख मोचन हरि हरखि न ध्याये॥
ललितकिशोरी
बात बिनु करत पिया बदनाम
बात बिनु करत पिया बदनाम।कौन हेतु वह लाज हरै मम बिना बात बे-काम॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
देखो भाई रंग भरे पिया
देखो भाई रंग भरे पिया सोहत रंग भरी सिया अंगबाम।रंग भरी बतियाँ रिया रंगीली नरबर रंग कोटिक रंग अभिराम॥
कृपानिवास
हम तुम पिया एक से दोऊ
हम तुम पिया एक से दोऊ।मानौ बिलग न नेक सांवरे घट बढ़िकै नहिं कोऊ॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
मोरा पिया बसै कौन देस हो
मोरा पिया बसै कौन देस हो।अपने पिया को ढूँढ़न हम निकसीं, कोइ न कहत सनेस हो॥
धनी धरमदास
पार नहीं पाइये रे राम बिना
पार नहीं पाइये रे राम बिना को निरबाहणहार॥तुन बिन तारण को नहीं, दूभर यहु संसार।
दादू दयाल
नाम में रूप, नाम में विद्या
बैजू
पिया बिन मोहि नीक न लागै गाँव
पिया बिन मोहि नीक न लागै गाँव॥टेक॥चलत चलत मोरे चरन दुखित भे आँखिन परिगै धूर॥
धनी धरमदास
पिया हो, कसकत कुस पग बीच
पिया हो, कसकत कुस पग बीच।लखन लाज सिय पिय सन बोली हरुए आइ नगीच॥