आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kitne logo ko pakistan vapis bheja gaya hai"
Pad के संबंधित परिणाम "kitne logo ko pakistan vapis bheja gaya hai"
लागी लगनियाँ को छुड़ावै
गोपाल
दुहि दुहि ल्यावत धौरी गैया
मोहन अधिक भूख जो लागी छाक बांटि दे भैया।परमानंददास को दीजै पुनि पुनि लेत बलैया॥
परमानंद दास
इंद्री खाय गयी जग सारा
मनुवा मार भजै भगवंतहि, या मति कबहुँ न ठाना।जियरा दुइ घरी के सुख को, कहत मलूक दीवाना॥
मलूकदास
नेह निगोड़े को पैंड़ो ही न्यारौ
नेह निगोड़े को पैंड़ो ही न्यारौ।जो कोइ होय कै आँधौ चलै, सु लहै प्रिय वस्तु चहूँधा उजारौ॥
वृन्दावनदेव
औचकहिं हरि आइ गये
नेक चितै मुसकाये हरिजू मेरे प्रान जुराइ लये।अब तौ भई है चोंप मिलन की बिसरे देह सिंगार ठये॥
परमानंद दास
नीकी खेली गोपाल की गैया
नीकी खेली गोपाल की गैया।कूकें देत ग्वाल सब ठाड़े यह जु दिवारी नीकी गैया॥
परमानंद दास
केते दिन जु गये बिनु देखैं
वह सोभा, वह कांति वदन को, कोटिक चंद बिसेखैं।वह चितवन, वह हास मनोहर, वह नटवर वपु भेखैं॥
कुंभनदास
गिरधर सब ही अंग को बांको
बांकी भोंह चरन गति बांकी बांको हृदय है ताको।परमानंददास को ठाकुर कियो खोर ब्रज सांको॥
परमानंद दास
तुम नीके दुहि जानत गैया
तुमहि जानि कर कनक दोहनि घर ते पठई मैया।निकटहि है यह खरिक हमारो नागर लेऊं बलैया॥
कुंभनदास
गाइये गनपति जगबंदन
गाइये गनपति जगबंदन। संकर-सुवन भवानी-नंदन॥सिद्धि-सदन, गज-बदन, बिनायक। कृपा-सिंधु, सुंदर, सब-लायक॥
तुलसीदास
कौन रसिक है इन बातन कौ
कौन रसिक है इन बातन कौ।नंद-नंदन बिनु कासों कहिए, सुनि री सखी, मेरे दुखिया मन कौ॥
परमानंद दास
निर्गुन कौन देस को वासी
को है जनक, जननि को कहियत, कौन नारि, को दासी?कैसो बरन, भेस है कैसो केहि रस कै अभिलासी॥
सूरदास
बसौ यह सिय रघुबर को ध्यान
वहि रहस्य सुख रस को कैसे, जानि सकै अज्ञान।देवहुँ को जहँ मति पहुँचत नहिं, थकि गये वेद पुरान॥