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बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए
बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए।पुण्य पुरबला म्हारा प्रगट भया, मधुर-मधुर सुर मुरली सुणाई ए॥
रानाबाई
मोहन जागौ मनोहर मधुसूदन मदनमोहन
जागौ ए जू कान्ह कुँवर केवल कल्यानराय,जागौ ए श्रीकृष्न चंद्र प्रेमानंद पावन॥
बैजू
पीन पयोधर दूबरि गता
पीन पयोधर दूबरि गता। मेरु उपजल कनक लता॥ए कान्ह ए कान्ह तोरि दोहाई। अति अपरुब देखलि राई॥
विद्यापति
दानघाटी छाक आई गोकुलते
परमानंद दास
भरत-राम का प्रेम (एन.सी. ई.आर.टी)
राघौ! एक बार फिरि आवौ।ए बर बाजि बिलोकि आपने बहुरो बनहिं सिधावौ॥
तुलसीदास
श्री सरस्वती वंदना
चित्त के अनंद छंद-बंदन करन हेतु,ए री जगदंब मेरे रसना पै बैठ आज॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
गिरिधर गदाधर चक्रधर गोपाल
कालीनाथन विस्वपति भक्तन सुखकारी जिया।पम मग मम गसा मप धसा ए नाम गीत कौं गाइया॥
गोपाल
ठगौरी घाली री मेरो मनु लियो हरी
ठगौरी घाली री मेरो मनु लियो हरी।सखी स्यामसुंदर ए री बिनु देखें जुग समान जात घरी॥
गोविंद स्वामी
याते मोहि कुंजबिहारी भाए
भूलि परौ अपनो घर तबहीं उझकत फिरयौ पराए।ए गुन सुमिरि लिये सुख दुख के पैंड़े सबै बताए।