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तू तो प्रीति की रीति न जानै एरी गँवार
तू तो प्रीति की रीति न जानै एरी गँवार।जाकौ मन मिलाइ चित लीजे जासों और बहीये नार॥
गोविंद स्वामी
अंत नी होय कोई आपणो
कलजुग का है रैहणा, कोई सी भेद नी कैहणा।झिलमिल-झिलमिल देखना, मुख से शब्द को जपना॥
ब्रह्मगीर
राणाजी म्हें तो गोविंद का गुण गास्याँ
राणाजी म्हें तो गोविंद का गुण गास्याँ।चरणामृत को नेम हमारो नित उठ दरसण जास्याँ॥
मीरा
प्यारे तू ही ब्रह्मा तू ही विष्नु
प्यारे तू ही ब्रह्मा तू ही विष्नु, तू ही रुद्र तू ही सिव-सक्ति,तू ही सूर्य तू ही गनेस।
बैजू
या अल्ला, मोमन तू
या अल्ला, मोमन तू आपु सौं ऐसे कर लगा।हौंही नमत तू प्रवीन सुमति दै, कुमति भगा॥
तानसेन
की हम साँझक एक सरि तारा
विद्यापति
केसव! कहि न जाइ का कहिये
केसव! कहि न जाइ का कहिये।देखत तव रचना बिचित्र हरि! समुझि मनहिं मन रहिये॥
तुलसीदास
रात भर का है डेरा
ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा है, सवेरे उठकर जाना है।रात भर का है डेरा, सवेरे जाना है॥
सैन भगत
या जोबन को लै का करिहों
या जोबन को लै का करिहों?चिर दिन याही भाँति हाय कह विरहानल महं जरिहों॥
बालमुकुंद गुप्त
विष्णु विष्णु तू भण रे प्राणी
विष्णु विष्णु तू भण रे प्राणी, इस जीवन के होवै।क्षण-क्षण आव घटंती जावै, मरण दिनेदिन आवै॥