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परि गइ कौनहुँ भाँति
परि गइ कौनहुँ भाँति टेव यह कैसें के निरवारौं?सुख संतोष होत जिय जब हीं आनंद बदन निहारौं॥
बिहारिनिदेव
तव तें रूप ठगौरी परी
तब तें रूप ठगौरी परी।जब तें दृष्टि परे मनमोहन रहत सदा संगही तबतें भेख मधुव्रत धरी।
गोविंद स्वामी
गुरु बिन कौन हरै मोरी पीरा
गुरु बिन कौन हरै मोरी पीरा॥रहत अली मलीन जुग, राई, बिनत पाए एक हीरा।
धनी धरमदास
आवलिया पीरा गुरु बड़ा ज्ञान गंभीरा
आवलिया पीरा, गुरु बड़ा ज्ञान गंभीरा।आप ही आप मिले जहाँ जाई, पूछे-पूछे अज़मत पाई,
दलुदास
श्री गोपाल वंदना
कुंडल कपोल बिच कुंतल अलक ढ़री,परी-परी डोलें मनों पन्नगी सु ताल पै।
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
मैया निपट बुरो बलदाऊ
डरपि कांपि के उठि ठाडो भयौ कोऊन धीर धराऊ।परि परि गयो चल्यों नहीं जावै भाजे जात अगाऊ॥
परमानंद दास
भ्रमरदूत
नीलांबर बसनाभिराम विद्युत, मन मोहै॥भ्रम में परि घनस्याम के, लखि घनस्याम अगार।
सत्यनारायण कविरत्न
जय श्रीराधिका रसभरी
परम-प्रेम-प्रकास-पूरन पर पयोनिधि परी।हितू ‘श्रीहरिप्रिया’ निरखति निकट निज सहचरी॥
हरिव्यास देव
श्री सरस्वती वंदना
बिपति बिदारीबे की, कुमति निबारबे की,सुरति सँभारबे की, जाकी परी बान है।
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
मोहन-वदन की सोभा
भौंह सोहनिका कहौं अरु भाल कुमकुम-बिंदु।स्यामबादर-रखे परि मनु अबहिं ऊग्यौ इंदु॥