आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ganit ke chutkule ebooks"
Pad के संबंधित परिणाम "ganit ke chutkule ebooks"
सुन-सुन सुंदर कन्हाई
गनइत मोतिम हारा। छलें परसब कुच भारा॥न बुझए रति-रस-रंग। खन अनुमति खन भंग॥
विद्यापति
झूलत राधा-मोहन कालिंदी के कूल
झूलत राधा-मोहन कालिंदी के कूल।सघन-लता सुहावनी चहुं दिसि फूले फूल॥
नंददास
आये मेरे नंदनंदन के प्यारे
आये मेरे नंदनंदन के प्यारे।माला तिलक मनोहर बानो, त्रिभुवन के उँजियारे॥
परमानंद दास
तरह-तरह के आसन करके
तरह-तरह के आसन करके दिलवर-ध्यान लगावैं हैं।भेदि सुषुम्ना नाड़ी-मारग माथे प्रान चढ़ावैं हैं॥
ललितकिशोरी
विठ्ठलनाथ अनाथ के तारन
विठ्ठलनाथ अनाथ के तारन।श्रीवल्लभ-गृह प्रगट रूप यह धरयो भक्त हितकारन॥
चतुर्भुजदास
वारों मीन खंजन आली के
सेत असित कटाछन तारे उपमा को मृग न कंजन।परमानंद प्रभु कर लीने प्यारी जु के मन के रंजन॥
परमानंद दास
पौढ़े हरि राधिका के भवन
सुन के कान शीतल भई छतियाँ विरह दुख के दवन।दास कुंभन धर्यो ललिता नाम राधारवन॥
कुंभनदास
निरखत अंक स्यामसुंदर के
हरि के लाड़ गनति नहि काहू निसिदिन सुदिन रासरसमाती।प्राननाथ तुम कब धौं मिलोगे सूरदास प्रभु बालसँघाती॥
सूरदास
मति गिरि! गिरै गोपाल के करते
मति गिरि! गिरै गोपाल के करते।अरे भैया ग्वाल लकुटिया टेकी अपने अपने कर के बलते॥