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श्री यमुना वंदना
‘प्रीतम’ सुकवि अघ बृंदन प्रभंजनी जुबंदों पद पद्म कालिंद गिरि नंदिनी
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
डोलमाई झूलत हैं ब्रज नाथ
डोलमाई झूलत हैं ब्रज नाथ।संग सोभित बृषभान नंदिनी ललिता बिसाखा साथ॥
परमानंद दास
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल।संग राजत वृषभानु-नंदिनी अंग-अंग रूप रसाल॥
नंददास
सेव्य हमारे हैं प्रिय प्यारे
सेव्य हमारे हैं पिय प्यारे वृंदाबिपिन-बिलासी।नंद-नंदन वृषभानु-नंदिनी-चरन-अनन्य उपासी॥
श्रीभट्ट
आजु बन नीको रास बनायौ
ताल, मृदंग उपंग मुरज डफ, मिलि रस-सिंधु बढायौ।विविध बिसद वृषभानु-नंदिनी, अंग-सुढंग दिखायौ॥
हितहरिवंश
निरतत मंडल मध्य नंदलाल
बाम भाग वृषभान नंदिनी गजगति मंद मराल।परमानंद प्रभु की छवि निरखत मेटत उर के साल॥
परमानंद दास
मांगे सुवारिन द्वार रुकाई
चिरजीवौ वृषभान नंदिनी रूप सील गुन सागर माई।निरख निरख मुख जीऊं सजनी यहै नेग बढ़ संपन जाई॥