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प्यारे तू ही ब्रह्मा तू ही विष्नु
तू ही ऊँच तू ही नीच, तू ही है सबहिन के बीच,तू ही चंद तू ही दिनेस।
बैजू
लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है
अति आसक्ति भर्यो, नहि जानत, पुहुप प्रभाव कर्यो है।‘अलिबेली अलि' तृषित न मानत, किहि रस-रंग ढर्यो है॥
अलबेलीअलि
हे री मैं तो प्रेम दिवानी
हे री मैं तो प्रेम दिवानी, मेरा दरद न जाने कोय।सूली ऊपर सेज हमारी, किस बिध सोना होय।
मीरा
तू तो प्रीति की रीति न जानै एरी गँवार
तू तो प्रीति की रीति न जानै एरी गँवार।जाकौ मन मिलाइ चित लीजे जासों और बहीये नार॥
गोविंद स्वामी
शहंशाह बने हो तो आह सुनो दिनन की
शहंशाह बने हो तो आह सुनो दिनन की,बानी मरदानी बचन जावे खाली है।
निपट निरंजन
तो सुन हो पंडता मेरी बात
तो निर्गुण ब्रह्म कु तुम नहीं ज्याने,तो काहे बखाने शास्त्र के माने।
केशवस्वामी
इंडुरिया तू डारि दै हौ
इंडुरिया तू डारि दै हौ लंगर ढीठ कन्हाई।तेरौ कोऊ कहौ करेगौ! हमें घर खीजेगी माई॥
चतुर्भुजदास
प्रीतम, तुम तो दृगनि बसत हौ
प्रीतम, तुम तो दृगनि बसत हौ।कहा भरोसे ह्वै पूछत हौ, कै चतुराई करि जू हँसत हौ?
चाचा हितवृंदावनदास
मैया, मैं तो चंद−खिलौना लैहौं
मैया, मैं तो चंद-खिलौना लैहौं।जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥
सूरदास
नाहि करब बर हर निरमोहिया
नाहि करब बर हर निरमोहिया।बित्ता भरि तन बसन न तिन्हका बघछल काँख तर रहिया॥
विद्यापति
सदा ही नांव धणी से लीजे
विसंनर गुरु तो गाभा धोतो, इंद बणतो पणिहारो।सूरज बाबो तपै रसोड़ै, दैतो पौन बुहारो।
जसनाथ
प्रीति तो काहूं नहिं कीजै
प्रीति तो काहूं नहिं कीजै।बिछुरै कठिन परै मेरो आली कहौ कैसे करि जीजै॥
परमानंद दास
जो गिरि रुचे तो बसो श्री गोवर्द्धन
नंददास
मैं तो साँवरे संग खेलन जैहौं
गोपाल
मैं तो खेलूं प्रभु के संग
मैं तो खेलूं प्रभु के संग होरी रंगभरी।जित देखूं तित रम रहौ रे सबमें व्यापक है हरी॥