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सुण रे क़ाज़ी सुण रे मुल्ला
सुण रे क़ाज़ी सुण रे मुल्ला, सुणियो लोग लुगाई।नर निरहारी एकलवाई, जिन यो रा फरमाई॥
जांभोजी
पूरै गुरु री आलंग कर प्राणी
जसनाथ
अब जानि मोहि मारो नंदनंदन
अब जानि मोहि मारो नंदनंदन हौं ब्याकुल भई भारी।कहत ही रहत, कयौ नहिं मानत देखे नये खिलारी॥
परमानंद दास
आजु मेरे धाम आए री
आजु मेरे धाम आए री नागर नंद किसोर।धन्य दिवस धन घरी री सजनी, धन्य भाग सखि मोर॥
नंददास
दुहि दुहि ल्यावत धौरी गैया
दुहि दुहि ल्यावत धौरी गैया।कमल नैन कौं अति भावत है, मथि मथि ध्यावत घेया॥
परमानंद दास
पपइया रे पिव की बाणि न बोल
पपइया रे पिव की बाणि न बोल।सुणि पावेली विरहणी रे थारी राखेली पाँख मरोड़॥
मीरा
तेरे री लाल मेरो माखन खायौ
तेरे री लाल मेरो माखन खायौ।भरी दुपहरी सब सूनो घर ढंढोरि अब ही उठि धायौ॥
परमानंद दास
सखी री मेरा बोलन लागे
सखी री मेरा बोलन लागे।मनु पावस को टेरि बोलवात तासों अति अनुरागे।
भारतेंदु हरिश्चंद्र
हे री मैं तो प्रेम दिवानी
हे री मैं तो प्रेम दिवानी, मेरा दरद न जाने कोय।सूली ऊपर सेज हमारी, किस बिध सोना होय।
मीरा
आली री मेरे नैणाँ बाण पड़ी
आली री मेरे नैणाँ बाण पड़ी।चित्त चढ़ी मेरे माधुरी मूरत उर बिच आन अड़ी।
मीरा
के पतिआ लए जाएत रे मोरा
के पतिआ लए जाएत रे मोरा पियतम पास।हिय नहिं सहए असह दुःख रे भेल सावन मास॥
विद्यापति
मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे
मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे।मैं कहता हौं आँखिन देखी, तू कहता कागद की लेखी।
कबीर
ठगौरी घाली री मेरो मनु लियो हरी
ठगौरी घाली री मेरो मनु लियो हरी।सखी स्यामसुंदर ए री बिनु देखें जुग समान जात घरी॥