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काँधैं कमरी गौ अलाप कैं नाचै
काँधैं कमरी गौ अलाप कैं नाचै जमुना तीर,नाचे पिछले पाँवर रे, गति लै-लै नाचे आँगनवा।
गोपाल
सुरंग दुरंग सोहत पाग लाल कैं
नंददास
तू तो प्रीति की रीति न जानै एरी गँवार
तू तो प्रीति की रीति न जानै एरी गँवार।जाकौ मन मिलाइ चित लीजे जासों और बहीये नार॥
गोविंद स्वामी
प्यारे तू ही ब्रह्मा तू ही विष्नु
प्यारे तू ही ब्रह्मा तू ही विष्नु, तू ही रुद्र तू ही सिव-सक्ति,तू ही सूर्य तू ही गनेस।
बैजू
या अल्ला, मोमन तू
या अल्ला, मोमन तू आपु सौं ऐसे कर लगा।हौंही नमत तू प्रवीन सुमति दै, कुमति भगा॥
तानसेन
लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है
लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है।अतिही नीदर नैन उनीदे, आरस-रंग भर्यो है॥
अलबेलीअलि
पाघ न बांधां पिलंग न पोढ़ां
पाघ न बांधां पिलंग न पोढ़ां, इण खोटै संसारूं।अंजन छोड निरंजन ध्यावां, हुय ध्यावां हुसियारूं।
जसनाथ
तू आदि भवानी जग जानी सर्वानी
तू आदि भवानी जग जानी सर्वानी, सर्व कला दै विद्या बरदानी।अंबे जगदंबे असुरसंहारनी तरनतारनी,
बैजू
विष्णु विष्णु तू भण रे प्राणी
विष्णु विष्णु तू भण रे प्राणी, इस जीवन के होवै।क्षण-क्षण आव घटंती जावै, मरण दिनेदिन आवै॥
जांभोजी
अरी प्यारी कैं लाल लागे
अरी प्यारी कैं लाल लागे देन महाउर पाय।जब भरि सींकहिं चहत स्याम घन दीजै चित्र विचित्र बनाय॥
नंददास
ना वह रीझै जप तप कीन्हें
ना वह रीझै जप तप कीन्हें, ना आतम को जारे।ना वह रीझे धोती टांगे, ना काया के पखारे॥