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नाहि करब बर हर निरमोहिया
नाहि करब बर हर निरमोहिया।बित्ता भरि तन बसन न तिन्हका बघछल काँख तर रहिया॥
विद्यापति
ऐसी प्रीति कहूँ नहि देखी
ऐसी प्रीति कहूँ नहि देखी।जसुमतिसुत वल्लभसुत जैसी सेस सहस मुख जात न लेखी॥
गोविंद स्वामी
हम नहिं आज रहब यहि आँगन
हम नहिं आज रहब यहि आँगन जो बुढ़ होएत जमाई, गे माई।एक त बइरि भेला बीध बिधाता दोसरे धिया कर बाप॥
विद्यापति
काहू कौ बस नाहि तुम्हारी कृपा तें
स्वामी हरिदास
केते दिन भये रैनि सुख सोये
जब तैं गये नंदलाल मधुपुरी चीर न काहू धोये।मुख तंबोर नैन नहि काजर बिरह सरीर बिगोये॥
परमानंद दास
दो पुरंदर चाप सुंदर
दो पुरंदर चाप सुंदर पावनी भ्रू बंकता।धौं निसाकर नीलघनयुत दिव्य लोचन लोलता॥
रमादेवी
पिय चलती बेरियाँ
पिय चलती बेरियाँ, कछु न कहे समझाय।तन दुख मन दुख नैन दुख हिय में दुख की खान।
रानी रघुवंश कुमारी
यह विधि सचु सों रैनु बिहानी
यह विधि सचु सों रैनु बिहानी।बहुत दिनन के बिछुरे प्रीतम, मिले सकल सुखदानी॥
गोस्वामी हरिराय
धन तेरस रानी धन धोवति
धन तेरस रानी धन धोवति।गर्ग बुलाई वेद बिधि पूजत ठौर ठौर घृत दीप संजोवति॥
परमानंद दास
हमारो देव गोवर्धन रानो
हमारो देव गोवर्धन रानो।जाकी छत्र छांह हम बैठे ताकौं तजि और को मानो॥
परमानंद दास
देव जगावत जसोदा रानी
देव जगावत जसोदा रानी बहु उपहार पूजा कै करिकै।इच्छु दंड मंडप पोहपन के चौक चहुं दिसि दीवा धरिकै॥