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इन में क्या लीजै क्या दीजै
इन में क्या लीजै क्या दीजै, जनम अमोलिक छीजै॥सोवत सुपना होई, जागे थैं नहिं कोई।
दादू दयाल
वीभत्स रस में ईश्वर-स्तुति
कितै मच्छ औ कच्छ की तुच्छ देही।कितै केहरी कोल है रक्त-नेही॥
शिवकुमार केडिया 'कुमार'
यह तो भाग्य पुरुष मेरी माई
यह तो भाग्य पुरुष मेरी माई।मोहन को गोदी में लिये जेमत हैं नंदराई॥
परमानंद दास
क्या तुम देखते हो बाज़ीगिरी का तमाशा
क्या तुम देखते हो बाज़ीगिरी का तमाशा।हाथी घोड़े माल कबीला, कोई न किसका साथी।
मध्व मुनीश्वर
क्या करना है संतति-संपति
क्या करना है संतति-संपति, मिथ्या सब जग-माया है।शाल-दुशाले, हीरा-मोती में मन क्यों भरमाया है॥
ललितकिशोरी
माई री, हौ आनंद गुन गाऊँ
माई री, हौ आनंद गुन गाऊँ।गोकुल की चिंतामनि माधो जो माँगौ सो पाऊँ॥
परमानंद दास
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल।संग राजत वृषभानु-नंदिनी अंग-अंग रूप रसाल॥
नंददास
कैसे जल जाऊ मै पनघट जाऊँ
वे तो निलज फाग मदमाते हौं कुल-बधू कहाऊं।जो छुवें अंचल बिहारी धरती फार समाऊं।
रसिकबिहारी
देखौ माई! कान्ह हिलकियनि रोवै
देखौ माई! कान्ह हिलकियनि रोवै!इतनक मुख माखन लपटान्यौ, डरनि आँसुवनि धोवै॥
सूरदास
पिछवारें व्हे बोल सुनायो री
पिछवारें व्हे बोल सुनायो री ग्वालन। कमल नैन प्यारो करतकलेऊ कोर न मुखलों आयो।
परमानंद दास
गोविंद माई मांगत है दधि रोटी
गोविंद माई मांगत है दधि रोटी।माखन सहित देहु मेरी जननी शुभ्र सुकोमल मोटी॥
परमानंद दास
माई री, कमलनैन स्यामसुंदर
माई री, कमलनैन स्यामसुंदर, झूलत है पलना॥बाल-लीला गावत, सब गोकुल की ललना॥